Sunday, July 5, 2020

कोशिश कर रहा हूँ ..

कोशिश कर रहा हूँ कुछ लिखने की
मन में हैं जो सब कुछ कह देने की

कहाँ से शुरुआत करूँ कहाँ करूँ ख़तम
समझ न पाया किये कितने भी जतन
सोच के जंगलो में लफ्ज़ खो गए हो जैसे
गहरे अंधकार में उजाले क़ैद हो गए हो ऐसे

अहसास तो हैं साथ में पर अभिव्यक्ति नहीं हैं
कलम तो हैं पास में पर कुछ शब्द नहीं हैं
चाहत तो हैं मन में पर कोई कयास नहीं हैं
दर्द तो हैं बहुत पर कोई पर्याय नहीं हैं

दिल और दिमाग में पुराना द्वन्द हो जैसे कोई
शून्य से क्षितिज तक का सफर हो जैसे कोई
ख़ामोशी से जैसे एक गहरा रिश्ता हो कोई
शब्दों को क़ैद करती पारदर्शी दीवार हो कोई

मन में हैं जो भारीपन उसको तौल रहा हूँ
खुद की ही सीमा हर रोज़ खुद लांघ रहा हूँ
अपने मन को खुद ही अब समझा रहा हूँ
तिनके तिनके को उठाकर जोड़ रहा हूँ

इसलिए कोशिश तो कर रहा हूँ कुछ लिखने की
मन में हैं जो वह सब कुछ किसी से कह देने की. 

Sunday, June 7, 2020

हैं रहस्य बहुत बस आज कुछ मैं खोल रहा हूँ..

मैं सन्नाटा हूँ फिर भी बोल रहा हूँ
मैं शांत हूँ बहुत फिर भी डोल रहा हूँ
ये हँसी और ये सिसकी, सब मेरी ही है
हैं रहस्य बहुत बस आज कुछ मैं खोल रहा हूँ

साथ हूँ मैं सबके पर मैं खुद अकेला घूम रहा हूँ
खामोश हूँ पर अपनी ही एक कहानी कह रहा हूँ
उजाड़ा जो वक़्त ने कभी उसको आज बसा रहा हूँ
हैं रहस्य बहुत बस आज कुछ मैं खोल रहा हूँ

हैं अंधेरा घना फिर भी किसीका उजाला ढूंढ रहा हूँ 
गाँठ जो बनी हैं दिलों मे ,उसको कोशिश कर खोल रहा हूँ 
युहीं शब्दों को जोड़ कर नयी कवितां क़ह रहा हूँ 
हैं रहस्य बहुत बस आज कुछ मैं खोल रहा हूँ