Tuesday, December 13, 2011

ओ साथी मेरे , मेरे साथ चल..

ओ साथी मेरे, आ मेरे साथ चल
ढूढती है नज़र मेरी बस तुझे
बरबस देखती हैं रास्ता तेरा
ओ साथी मेरे, आ मेरे साथ चल

इन हाथों में मेरे, अपने हाथों को देदे
जज्बातों में मेरे, अपने जज़्बात जोड़ दे
खाबो को अपने, मेरी आँखों में बसा दे
रंग चाहत के अपनी, मेरी दुनिया में सजा दे

दिलो कि कश्ती में लम्बा सफ़र तय कर ले चल
दूर क्षितिज के तले छोटा सा आशियाँ बनाले चल
हसरतो को तेरी मेरी, हकीक़त बनादे चल
फासले मोहब्बत के, मोहब्बत से मिटादे चल

राह को मेरी, अपनी मंजिल बना दे अब
चाहत को अपनी,मेरी आदत बना दे अब
मुश्किलों का सारी,निकाल दे कुछ हल
ओ साथी मेरे, चल मेरे साथ चल..

Saturday, August 27, 2011

चलो आज ज़िन्दगी में एक नयी शुरुआत करते हैं..


चलो आज फिर एक नयी शुरुआत करते हैं
जो कहनी सुननी चाही आज सारी बात करते हैं
ना कोई अब दूरी रहे , ना कोई भी अधुरी रहे
चलो आज ज़िन्दगी में एक नयी शुरुआत करते हैं

शब्दों को नया अर्थ, वादों को नया आयाम देते हैं
सपने जो देखे कभी ,उनको अब साकार करते हैं
कहानी जो शुरू की, उसको नया अंजाम देते हैं
चलो आज ज़िन्दगी में एक नयी शुरुआत करते हैं

बीते कल को कहीं अपने पीछे छोड़ आते हैं
आने वाले कल को फिर एक नए ढंग से सजाते हैं
रात के अँधेरे को निकाल, दिन का उजाला भरते हैं
चलो आज ज़िन्दगी में एक नयी शुरुआत करते हैं

खो गए थे जिन रास्तो में, उनमे नयी तलाश करते हैं
मंजिल को ही नहीं, आज डगर को भी नया नाम देते हैं
दिलो में हौसले को ही नहीं , जूनून को भी जगह देते हैं
चलो आज ज़िन्दगी में एक नयी शुरुआत करते हैं