Tuesday, December 13, 2011

ओ साथी मेरे , मेरे साथ चल..

ओ साथी मेरे, आ मेरे साथ चल
ढूढती है नज़र मेरी बस तुझे
बरबस देखती हैं रास्ता तेरा
ओ साथी मेरे, आ मेरे साथ चल

इन हाथों में मेरे, अपने हाथों को देदे
जज्बातों में मेरे, अपने जज़्बात जोड़ दे
खाबो को अपने, मेरी आँखों में बसा दे
रंग चाहत के अपनी, मेरी दुनिया में सजा दे

दिलो कि कश्ती में लम्बा सफ़र तय कर ले चल
दूर क्षितिज के तले छोटा सा आशियाँ बनाले चल
हसरतो को तेरी मेरी, हकीक़त बनादे चल
फासले मोहब्बत के, मोहब्बत से मिटादे चल

राह को मेरी, अपनी मंजिल बना दे अब
चाहत को अपनी,मेरी आदत बना दे अब
मुश्किलों का सारी,निकाल दे कुछ हल
ओ साथी मेरे, चल मेरे साथ चल..