मैंने सोचा था ज़िंदगी एक बोझ है
जबतक जीना तब तक इसे उठाना है
और एक दिन संसार से अलविदा हो चले जाना है।
है ज़िंदगी काटों से भरी , फिर भी हम चले जाते है
गमो को पीकर मुस्कुराते है
ज़िंदगी रूकती नही, निरंतर चलती रहती है
और हमसे ये कहती है
तुम भी चलते रहो निरंतर पथिक बनकर
मंजिल मिल ही जायेगी एकदिन
जिसे समझे थे तुम शूल बनकर फूल
एकदिन ज़िंदगी मुस्कुराएगी.......
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