Kabhi kabhi kuch aisa hota hai ki aap kuch kehna chahte hai per kisse kahe ye samajh nahi aata, bus aise hi kuch khayalo ko shabd dene ki koshish hai "Meri Duniya"
Sunday, October 12, 2008
जब कभी भी किसी का किसी पर से विश्वास टूटता है
जब कभी भी किसी का किसी पर से विश्वास टूटता है
इंसान का ज़िन्दगी के साथ हर रिश्ता छूटता है
कितना मुश्किल होता है विश्वास रखना
कितना आसन होता हैं उसको तोड़ देना
सालो साल परत दर परत जमता है
और फिर एक तूफ़ान उसको बखेर देता है
एक ही पल में सब कुछ तहस नहस कर
सिर्फ़ अपने कुछ निशान छोड़ जाता है
तूफ़ान के बाद ज़िन्दगी तो फिर साँस लेने लगती है
टूटे घर फिर से बन्ने सवारने लगते हैं
खुशियाँ फिर रास्ता दूढ्ने लगती हैं
ज़िन्दगी के गीत एक बार फिर सजने लगते हैं
पर विश्वास का वो वृक्ष फिर हरा नहीं होता
उसको फिर दूसरा जीवन कभी नही मिलता
बिन नमी की जैसे ज़मीन जैसे बंजर हो जाती हैं
सूख जाता है वो , जड़ो में जो चोट लगती हैं
जब कभी भी किसी का किसी पर से विश्वास टूटता है
इंसान का ज़िन्दगी के साथ हर रिश्ता छूटता है
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3 comments:
I am just a traveler sifting through blogs when I came across your 'duniya' and the heart tugging expressions. Hindi language is not my forte but creativity in any form is a joy forever. Wish you luck in all your endeavors. may you regain your lost
trust.
दूसरों का या दूसरों पर विश्वास भले ही टूटे, स्वयं पर विश्वास बना रहे यही सबसे बड़ी बात है.
वक्त बड़े से बड़ा जख्म भर देता है...
हाँ ये बात और है की निशान देख कर कभी कभी यादें ताजा हो जाती हैं...
बहुत सुंदर रचना....
और इसके लिए मेरी ओर से बहुत बधाई....
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