क्या सचमुच कोई बिन कहे समझता हैं
खामोश रहके ,आंखों की भाषा जानता हैं
लोग कहते हैं हैं की बिन बोले समझा नही जाता
मात्र एहसास से कुछ एहसास किया नही जाता
बिन रोये तो माँ भी कुछ समझ नही पाती
बच्चे के एहसासों का तात्पर्य जान नही पाती
पर इंसान फिर भी यही क्यों मांगता हैं
सब कुछ बिन कहे की कहना चाहता हैं
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